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गो दुग्ध - एक अध्ययन

आधुनिक विज्ञान का यह मानना है कि सृष्टि के आदि काल में भूमध्य रेखा के दोनो ओर प्रथम एक गर्म भूखंड उत्पन्न हुवा था .इसे भारतीय परम्परा मे जम्बुद्वीप नाम दिया जाता है. सभी स्तन धारी भूमी पर पैरों से चलने वाले प्राणी दोपाए , और चौपाए जिन्हें वैज्ञानिक भाषा मे अ‍ॅग्युलेट मेमल ungulate mammal के नाम से जाना जाता है , वे इसी जम्बू द्वीप पर उत्पन्न हुवे थे.इस प्रकार सृष्टि में सब से प्रथम मनुष्य और गौ का इसी जम्बुद्वीप भूखंड पर उत्पन्न होना माना जाता है.इस प्रकार यह भी सिद्ध होता है कि भारतीय गाय ही विश्व की मूल गाय है. इसी मूल भारतीय गाय का लगभग 8000 साल पहले , भारत जैसे गर्म क्षेत्रों से योरुप के ठंडे क्षेत्रों के लिए पलायन हुवा माना जाता है. जीव विज्ञान के अनुसार भारतीय गायों के 209 तत्व के डीएनए DNA में 67 पद पर स्थित एमिनो एसिड प्रोलीन Proline पाया जाता है. इन गौओं के ठंडे यूरोपीय देशों को पलायन में भारतीय गाय के डीएनए में प्रोलीन Proline एमीनोएसिड हिस्टीडीन Histidine के साथ उत्परिवर्तित हो गया. इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में म्युटेशन Mutation कहते

हम चाहते हैं पूर्ण गोवंश रक्षा - डॉ. श्री कृष्ण मित्तल

वन्दे धेनु मातरम !!!  भारतीय संस्कृति में कृषि व गौपालन का अति उत्तम स्थान रहा है। एक दो नहीं लाखों करोड़ों गाँव वाले इस देश में दूध दही की नदियाँ बहती थी। हर परिवार की कन्या दुहिता यानी दुहने वाली कहलाई । ब्रह्म मुहूर्त में उठते ही गृहनीयाँ झूमती हुई दही बिलोती और माखन मिश्री खिलाती थीं व अन्न्दा सुखदा गौमाता के लिए भोजन से पहले गौग्रास निकालना धर्म का अंग था। तेरहवी सदी में मक्रोपोलो ने लिखा की भारतवर्ष में बैल हाथिओं जैसे विशालकाय होते हैं , उनकी मेहनत से खेती होती है , व्यापारी उनकी पीठ पर फसल लाद कर व्यापार के लिए ले जाते हैं। पवित्र गौबर से आँगन लीपते हैं और उस शुद्ध स्थान पर बैठ कर प्रभु आराधना करते हैं। "कृषि गौरक्ष्य वाणीज्यम" के संगम ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूर्णता , स्थिरता , व्यापकता वः प्रतिष्ठा दी जिसके चलते भारत की खोज करते भारत से कल्पतरु (गन्ना) और कामधेनु (गाय) लेकर गया. माना जाता है की इनकी संतति से अमरीका इंग्लैंड डेनमार्क आस्ट्रेलिया न्युजीलैंड सहीत समस्त साझा बाज़ारके नौ देशों में गौधन बढा,वह देश सम्पन्न हुए और(भारत) सोने की चिड