गाय बचेगी तो पृथ्वी बचेगी

नेहरिया फिल्म प्रोडक्शन के तत्वावधान में बनी राजस्थानी फिल्म ‘भक्त धन्ना जाट’ के निर्माता हरीश नेहरिया, फिल्म के मुख्य कलाकार सन्नी अग्रवाल, रामकरण राहड़ तथा हास्य कलाकार ओ.पी. भार्गव खबरकोश डॅाटकॅाम  के कार्यालय में आए। उनसे खबरकोश डॅाटकॅाम के सम्पादक भंवर मेघवंशी ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंश -
‘भक्त धन्ना जाट’ जैसी राजस्थानी भाषा की गौ समर्पित फिल्म बनाने की प्रेरणा आपको कहां से मिली ?
हमारी प्रेरणा के मुख्य स्त्रोत पूज्य दत्तशरणानंद जी महाराज है, इस फिल्म के मुख्य कलाकार सन्नी अग्रवाल भी हमारी प्रेरणा के आधार है। पूज्य महाराज श्री दत्तशरणानन्द जी का संकल्प, उनका ध्येय, उनकी सादगी और गौमाता के प्रति समर्पण तथा पथमेड़ा गौ धाम का पुण्य सलिला वातावरण और हमारा गायों के प्रति सांस्कृतिक रूझान, सबने मिलकर यह गौ आधारित फिल्म बनाने की दिशा में हमको आगे बढ़ाया। हमें लगा कि लोग दान देकर, चारा दानकर या अन्य प्रकार से गाय की सेवा कर रहे है, हम एक फिल्म बनाकर गौ माता को बचाने का प्रयास क्यों नहीं कर सकते है ? इस प्रकार महनीय कार्य आगे बढ़ा।

बांए से फिल्म के निर्माता हरीश नेहरिया, अभिनेता सन्नी अग्रवाल, भंवर मेघवंशी, सहकलाकार ओ.पी. भार्गव व रामकरण राहड
इस फिल्म को बनाने का आपका उद्देश्य क्या है, क्या राजस्थानी भाषा की फिल्में और वह भी गाय जैसे विषय पर सफलता प्राप्त कर पायेगी ?
हमारा उद्देश्य स्पष्ट है, हम गायों को पुनः घरों में स्थापित करना चाहते है, गौ प्रेमियों को संगठित करना चाहते है, गौशालाओं को मजबूत करना चाहते है। इससे राजस्थान के कलाकारों को अभिनय का मौका मिलता है, वे मुम्बई में संघर्ष करके अपना समय व्यर्थ करे, इससे अच्छा है कि राजस्थान में अपनी भाषा, अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले सामाजिक व धार्मिक विषयों की फिल्मों में अभिनय करें।
क्या राजस्थान सरकार की ओर से आपको इसमें सहयोग मिल रहा है ?
हरीश नेहरिया - सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है, फिर भी हमें इस फिल्म के लिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धन्यवाद दिया कि यह बहुत सार्थक काम है, राजस्थानी फिल्मों को बढ़ाने में सरकार की उदासीनता है, लेकिन भाषा और अपनी संस्कृति को बचायेंगे, इसके लिये जो भी प्रयास हो सकते है, हम करेंगे।
सन्नी अग्रवाल - आंचलिक फिल्मों का दुर्भाग्य है कि राजस्थानी भाषा को राजस्थान की सरकार प्रमोट नहीं करती है, लोग अक्सर पूछते है कि तुम्हारी राजस्थानी फिल्मों को देखता कौन है ? जबकि गुजराती फिल्मों को गुजरात के मुख्यमंत्री तथा भोजपुरी फिल्मों को बिहार के मुख्यमंत्री देखने जाते है। हमारे मुख्यमंत्री तो आमिर खान का ‘सत्यमेव जयते’ देखते है और सांस्कृति मंत्री बीना काक सलमान खान की फिल्में देखती है, ऐसे में कैसे राजस्थानी भाषा का फिल्म उद्योग पनपेगा ? हम राजस्थानियों में भी एक कमी है हम भी जिस तरह महाराष्ट्र के लोग मराठी, गुजरात के गुजराती, बंगाल के बंगाली बोलने में गर्व महसूस करते है, उस तरह राजस्थानी बोलने में गर्व नहीं बल्कि शर्म महसूस करते है।
सन्नी जी आप कई हिन्दी फिल्मों, धारावाहिकों में काम कर चुके है, मुम्बई में निवास करते है, फिर भी राजस्थानी के प्रति ऐसा समर्पण और एक स्थापित कलाकार होते हुए गाय के प्रति ऐसी संवेदना का क्या कारण है ?
सन्नी अग्रवाल - मैं कलाकार होने से पहले एक हिन्दू हूँ, गाय को मां मानता हूं और मेरा दृढ़ विश्वास है कि गौ माता में 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास है, मेरे लिये गाय कोई पशु नहीं है, मैं मानता हूं कि संस्कृति तभी बचेगी, जब गाय बचेगी।
आपको ऐसे धार्मिक विषय पर फिल्म बनाने की प्रेरणा कहां से मिली ?
सन्नी अग्रवाल - मैं एक शूटिंग के सिलसिले में गौधाम पथमेड़ा गया, दत्तशरणानन्दजी महाराज से मुलाकात हुई, मैंने  तय किया कि मैं गौमाता के लिये अपने अभिनय और अपनी प्रतिभा का उपयोग करूंगा, आज सवाल यह नहीं है कि हमें समाज क्या दे रहा है, हम समाज को क्या दे रहे है ? हम गाय को बचाने की मुहिम को पूरे देश में ले जाना चाहते है।
‘गाय’ जैसे सर्वथा नये विषय पर, राजस्थानी भाषा में आपने ‘भक्त धन्ना जाट’ जैसी बड़े बजट की फिल्म बनाई, क्या यह व्यवसाययिक रूप से सफल हो पायेगी ?
हरीश नेहरिया - अगर हमारी बात जन जन तक पहुंच गई, हमारी फिल्म को देखकर एक हजार गायें भी बचती है तो हमारा फिल्म बनाना सार्थक हो जाता है।
सन्नी अग्रवाल - हम व्यवसायिक सफलता की बात तो तब सोचते जबकि हम ‘गाय’ को एक जानवर मात्र मान ले, मगर हमारी मान्यता तो यह है कि गाय हमारी माता है, उसी पर हमारा समाज टिका हुआ है, हमारी कृषि, हमारी संस्कृति और हमारी अर्थ व्यवस्था सबके केंद्र में गौ माता है, उसके महत्व को लोग समझ ले और स्वीकार लें, यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। हम ‘गाय’ लेकर जो भ्रांतियां और शक आम जन में है, उसे दूर करना चाहते है। रही बात व्यवसायिक सफलता की तो जो लोग कमर्शियल सिनेमा में पैसा लगाते है, क्या वे हर बार सफल ही होते है, उनकी उद्देश्य विहिन फिल्मों से हमारी गौ माता के संरक्षण व संवर्धन को विस्तार देने वाली फिल्म बनना ही पहली सफलता है।
हरीश नेहरिया - भक्त धन्ना जाट के प्रीमीयर शो अब तक कोलकत्ता, सूरत, अहमदाबाद और राजमंदिर (जयपुर) मंे हुये है, उनमें लोगों की उपस्थिति और उत्साह को देखते हुये हम काफी संतुष्ट है। हम लोगों को यह बताने में सफल हो रहे है कि गाय की कोई भी चीज व्यर्थ नहीं है, वहीं हमारी संस्कृति, समाज और धर्म का मूलाधार है, अगर गाय बचेगी तो हमारी पूरी संस्कृति बचेगी, न केवल व्यक्ति बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि बचेगी।
सन्नी अग्रवाल - हमारा प्रयास है कि मीडिया भी गौ माता के प्रति संवेदनशील हो, आज आमिर खान कन्या भ्रूण हत्या, पर बात करता है तो पूरा मीडिया और सरकार उसके लिये खड़े हो जाते है, मैं आमिर खान से कहना चाहता हूं कि वह अपने शो ‘सत्यमेव जयते’ में गौ हत्या का मुद्दा भी उठाये। हम अपनी फिल्म के जरिये अपनी मातृभाषा ‘राजस्थानी’ ग्राम समाज तथा ‘गौ माता’ के प्रति अपने ऋण से उऋण होने की ईमानदार कोशिश कर रहे है, हमें उम्मीद है कि हर राजस्थानी हमारी मुहिम का हिस्सा बनेगा और गौ माता को अपना सम्मान और दर्जा और सरक्षंण हासिल होगा, यही हमारी सफलता होगी ।

टिप्पणियाँ

संपर्क

सम्पर्क करें

गो दुग्ध - एक अध्ययन

- डॉ. श्री कृष्ण मित्तल