धरती को बचाना है तो मांसाहार त्याग दो !!!!!!!!!!!!!

धरती को बचाना है तो मांसाहार त्याग दो !!!!!!!!!!!!!

यह उपदेश जब हमारे संत-महात्मा देते है तो उसे धार्मिक उपदेश समझकर अनदेखा किया जाता है लेकिन जब अभी कुछ दिन पहले ब्राजिल की राजधानी रियो डी जनेरों में दुनियाभर के पर्यावरणवादी, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी और कई राष्ट्रों के प्रमुख '' ग्लोबल वार्मिंग '' के खतरों पर
चर्चा के लिये जमा हुए, तो वहां से एक मजबुत आवाज ''मांसाहार '' के खिलाफ़ उठी । वहां कहां गया कि, अगर धरती तो बचाना है, तो मांसाहार त्याग दो ।''
पर्यावरणवादियों का कहना है कि , अगर खतरनाक ग्रीन हाउस गैंसों को कम करना है तो मांसाहार को छोडना ही पडेगा । कहा जा रहा है कि,
दुनिया में जो ग्रीन हाउस का उत्पादन हो रहा है , उसमें एक -तिहाई हिस्सेदारी मीट उत्पादन वाले पशु पालन उद्योग की ही है । रियो सम्मलेन में
मीट उत्पादन कम करने के लिये '' मांसाहार '' त्यागने के सिवाय अन्य कोई उपाय नही, ऐसा स्पष्ट निर्देश पुरे विश्व के लिये मिला है ।
इससे पशु हत्या भी कम होगी और मानव सात्विक आहार की ओर बढेगा । अब पुरे विश्व को और अपने अस्तित्व को बचाना है तो '' मांसाहार'' त्यागना अनिवार्य हो गया है । एक तथ्य यह भी है कि, मांसाहार करने वाले व्यक्ति में मानवता के लक्षण निरन्तर कम होते जाते है और वे दानव प्रवृती की ओर बढते है ।संत -महात्माओ के उपदेशों को अनदेखी करने वालों के लिये यह एक चेतावनी है कि, जीवन की धारा मानवता की ओर मोडे, अन्यथा जीवन ही नही बचेगा ।

टिप्पणियाँ

संपर्क

सम्पर्क करें

गो दुग्ध - एक अध्ययन

- डॉ. श्री कृष्ण मित्तल