संस्थान के उद्देश्य

संस्था के उद्देश्य
    सम्पुर्ण भारत में प्रत्येक 17 गांव पर एक '' गौसेवा केन्द्र ''स्थापित करना और हर गांव में 2 गौफ़ार्म बनवाना, यह संस्था की वर्तमान योजना है । इस योजना का नाम '' सम्पूर्ण गौसंवर्धन और संरक्षण योजना '' है । इस योजना के अंतर्गत अनेक ग्रामीण विकास के अन्य प्रकल्प भी जुडे है । जैसे  भूमी सुधार, स्वरोजगार, स्वदेशी प्रचार और वैकल्पिक उर्जा स्त्रोत का निर्माण करना आदि । इस योजना का सम्पुर्ण प्रारुप तैयार किया गया है । आवश्यकता है ऐसे सक्षम और सक्रीय कार्यकर्ताओं की जो गौ आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अंग बनकर कार्य करने के इच्छुक हो !!!

                सम्पुर्ण गौ संवर्धन और संरक्षण योजना के अन्य कुछ प्रकल्प इस प्रकार है : 
1. विद्युत् निर्माण
  • गौशाला में गोबर गैस सयंत्र से बिजली तैयार करना।
  • बैल चलित जनरेटर द्वारा बिजली उत्पादन करना।
  • गौ मूत्र एवं गौमय से घड़ी, रेडियो, टेपरिकॉर्डर , टेलीविजन आदि चलाना तथा विद्युत बल्ब जलाना।
  • बायोगैस को सिंलेन्डर में भरकर उसका रसोई घर में या गाडी , जेटपम्प आदि चलाने में प्रयोग करना । 

2. ड़ेयरी फ़ार्म 
  •  संस्था दुध और दुध से बनने वाले उत्पाद को सस्ते और शुध्दरुप से जन जन तक पहुंचाने के लिये डेयरी फ़ार्म का संचालन करेगी । इस फ़ार्म प्रत्येक गौ सेवा केन्द्र में होगा । इसके लिये सरकारी डेयरी फ़ार्म और प्राईवेट दुध उत्पाद कम्पनीयों से समन्वय बनाया जायेगा।
3 पंचगव्य औषध निर्माण एवं प्रोत्साहन
  • पंचगव्य (दूध, दही, गोबर, गौमूत्र) औषधि तैयार करने हेतु रसायन शाला तैयार करना। अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सकों के मार्गदर्शन में औषधियाँ तैयार कर समाज को आरोग्य प्रदान प्राप्त करना।
  • पंचगव्य औषध उत्पादों के विपणन की उचित व्यवस्था करना तथा इस हेतु योग्य अभिकर्ता तैयार करना जो समाज में गौ उत्पादों के प्रति जागृति पैदा कर लोगों को इनके प्रयोग हेतु प्रेरित करें।
  • पंचगव्य चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना।
  • पंचगव्य औषधियों के प्रयोग के प्रति समाज में जागृति लाने हेतु गौ साहित्य का वितरण तथा ऑडियो  - विडियो कैसेट्स निर्माण, स्लाईड शो व संगोष्ठियों का आयोजन करना।

3. किसान प्रशिक्षण केन्द्र
  • गावो रक्षति रक्षित - गौ विज्ञान को समाज समझे तथा गौ सेवा के महत्वपूर्ण कार्य में लगे तो गाय सम्पूर्ण समाज को पोषण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  • किसान प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा किसानों को गाय की नस्ल सुधार, गोबर गैस सयंत्र के उपयोग, विद्युत् निर्माण, जैविक खाद एवं कीटनाशी निर्माण, पंचगव्य औषध निर्माण हेतु जानकारी, आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना एवं नवीन तकनीक द्वारा प्रदर्शन के माध्यम से उक्त कार्यों के प्रति विश्वास निर्माण करना।
  • सप्त गौ परिक्रमा एवं सप्त नन्दी परिक्रमा की महत्ता  बतलाकर इस माध्यम से गाय का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रूप समाज में प्रतिस्थापन करना।
  • गाय की आर्थिक उपयोगिता को दृश्य रूप में दिखाना - वेद वाक्य ‘‘गौमय वसते लक्ष्मी’’ को मूर्त रूप देना।

4. खाद व कीट नियंत्रक निर्माण करना
  •  इस योजना का यह मुख्य भाग है । गोबर से निर्मित कम्पोस्ट खाद और गोमुत्र से बने किटनियन्त्रक के द्वारा सम्पुर्ण भारत की कृषी की भूमी '' रासायनिक खाद'' से मुक्त लिया जाना जरुरी है । इससे न सिर्फ़ भूमी सुधार होना, बल्कि साथ ही सभी को विषमुक्त अन्न, सब्जी, दुध आदि उपलब्ध होंगे और हमारे देश की भूमी बंजर होने से बचेगी । इसके अलावा किसान को रासायनिक खाद कम्पनियों की गुलामी और सरकारी भ्रष्ट्राचार से भी मुक्ति मिलेगी । किसान कम लागत में खेती कर सकेंगे । किसान को खाद के लिये या खेती के लिये कर्जा नही लेना पडेगा । इस योजना में यह सब बातों को संभव कर सकने की क्षमता है ।
5. नस्ल सुधार 
  • उत्तम नस्ल की देशी गायों की वैदिक पद्दति से सेवा कर अच्छी दुधारू गायें तैयार करना।
  • किसानों तथा गौ पालकों को अच्छे देशी सांड उपलब्ध कराकर संपूर्ण गौवंश का स्तर सुधारना।
  • उत्तम स्तर के बछड़ों को ही सांड के रूप में प्रयुक्त करने हेतु प्रोत्साहन तथा तुलनात्मक रूप से सामान्य स्तर के बछड़ों का प्रयोग बैल के रूप में ही करना।
  • गौ सेवा केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन - मेवाड़, वागड़, हाड़ौती, मगरा, मेरवाड़ा एवं मालवा क्षेत्र में गौ सेवा केन्द्रों की स्थापना करना तथा उनका व्यवस्थित संचालन करना।
  • नस्ल सुधार हेतु गौ पालकों को आवश्यक प्रशिक्षण देना।

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गो दुग्ध - एक अध्ययन

- डॉ. श्री कृष्ण मित्तल