गोवंश से बरसेगी भौतिक सुख-समृद्धि


हल्द्वानी। गो वंश का पालन अब आध्यात्मिक शांति ही नहीं बल्कि भौतिक सुख-समृद्धि बरसाने वाला होगा। गोमूत्र के बाद प्रदेश में गोबर भी इसी भौतिक सुख का आधार बनने जा रहा है।
 
उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) प्रदेश के तीन गौ सदनों में बायो गैस आधारित बड़े विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने जा रहा है। जिनकी क्षमता छह से 10 किलोवाट विद्युत उत्पादन की होगी। गोवंश का पालन व संवर्धन राज्य में आर्थिकी का भी आधार बन रहा है। गोमूत्र व गोबर से दवाइयां व रोजमरार की जरूरत का सामान तैयार कर व्यावसायिक दृष्टि से मजबूती दे रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) अब गौ संवर्धन को बढ़ावा देते हुए नई योजना पर काम कर रहा है।
 
उरेडा ने राज्य के तीन गौ सदनों का चयन कर वहां विद्युत उत्पादन करने के लिए योजना बनाई है। इनमें हल्दूचौड़ परमा, बाजपुर तथा टिहरी गो सदन का चयन हुआ है। यहां बायो गैस के 60 से 85 घनमीटर क्षमता के बड़े प्लांट लगेंगे। इसके जरिए मिलने वाली बायो गैस देश में ही बन रहे %बायो गैस जनरेटर इंजन% को ईधन के रूप में मिलेगी। यह संयंत्र प्रतिदिन 6 से 10 किलोवाट तक विद्युत का उत्पादन करेगा। वहीं 60 घनमीटर क्षमता के संयंत्र की लागत करीब 13.50 लाख तथा 85 घनमीटर की 15.25 लाख रुपए जनरेटर सहित होगी। जबकि इनकी स्थापना पर केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) योजना लागत का 40 प्रतिशत या 40 हजार रुपए प्रति किलोवाट तक सिब्सडी देगी। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी एलडी शर्मा बताते हैं कि देहरादून के कालसी व श्यामपुर स्थित पशुपालन विभाग के दफ्तरों में योजना के सफल त्रि्कयान्वयन के बाद इसे राज्य के तीन गोसदनों में शुरू किया जा रहा है। इसके बाद डेयरी उद्योग को फोकस किया जाएगा। यह योजना गौ वंशीय पशुओं के संवर्धन को बढ़ावा देगी, रसोई गैस के बाद बिजली भी मुहैया कराएगी। साथ ही बायो गैस में प्रयुक्त होने के बाद बचा हुआ गोबर खेतों की ऊवरर्ता बढ़ाने वाला भी सिद्ध होगा। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह अभिनव प्रयोग है।

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गो दुग्ध - एक अध्ययन

- डॉ. श्री कृष्ण मित्तल